लखनऊ 24 नवम्बर UPPCL मे पीएफ घोटाले पर लगातार चल रहे आन्दोलन के सख्त रुख को देखते हुए प्रदेश सरकार अपने को घिरता देख नरमी रुख अपनाते नजर आ रही है यह जिसका मुख्य कारण लगातार चल रहे आंदोलन मे संघर्ष समिति मे जूनियर इंजीनियर संगठन के शामिल होने की घोषणा के बाद प्रदेश सरकार ने नरमी रुख अपनाया और संघर्ष समिति से वार्ता के लिये सरकार ने UPPCL के चेयरमैन अरविंद कुमार को जिम्मेदारी सौपी उसी क्रम मे अरविंद कुमार ने संघर्ष समिति को शाम के समय वार्ता के लिये बुलाया सूत्र बताते है कि वार्ता सकारात्म हुई। पहले दौर की वार्ता किसी नतीजे पर नही पहुच सकी जिसपर पुनः प्रबन्धन से द्वितीय चरन की वार्ता हुई अब तक की वार्ता मे प्रदेश सरकार पीएफ के घोटाले की रकम UPPCL को लोन के रूप मे देने की बात पर सहमती बनी है
और यह भी कहा गया कि uppcl
इस रकम को कर्मचारियों को भुगतना करेगा और सरकार बिना ब्याज के यह रकम uppcl को उपलब्ध कराएगी शेष मांगो ले कर कोई भी बात नहीं हुई । एक बात इस पूरे एपिसोड में समझ मे नहीं आयी कि पीएफ का पैसा पहले भी तो uppcl के अध्यक्ष की निगरानी में था क्योंकि uppcl का अध्यक्ष ही ट्रस्ट का अध्यक्ष होता है और उसी पर यानि कि uppcl पहले भी जिम्मेदार था अब भी जिम्मेदार है बस एक लालीपाप मिल गयी कि अगर uppcl पैसा नहीं देता है तो सरकार वो रकम चुकाएगी वैसे तो इनके पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए तो पैसा है नहीं वो क्या पीएफ का पैसा देगे इस समझौते मे जरूर कही ना कही कुछ झोल झाल है कही तो दाल काली है अलोक कुमार और अपणा यू की गिरफ्तारी की मांग से पीछे हटना और यह ना समझ मे आने वाला समझौता सघर्ष समिति के सरक्षक के ना होने पर आनन-फानन समझौता होना यह कुछ समझ में आया नहीं ।
रिपोर्टर अविजित आनन्द लखनऊ