बिजली बकायादार मंदिर व मस्जिद में लगे लाउडस्पीकरों का स्तेमाल अब सरकार करेगी  


लखनऊ,,,,: यूपी सरकार राज्य के पश्चिमी जिलों में बिजली के बकाया भुगतानों और नई योजनाओं की जानकारी देने  के लिए मंदिर और मस्जिद में लगे लाउडस्पीकरों का उपयोग करेगी. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) ने इसकी योजना बनाई है जिसमे.किसानों के लिए आसान किस्तों में ट्यूबवेल योजना के अलावा चल रही स्कीमों के बारे में जानकारी देने के लिए विभाग इसका इस्तेमाल करना चाह रहा है. विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इसके लिए शुरुआती तौर पर 14 जिले चुने गए हैं. PVVN के अधिकार क्षेत्र में आने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, गौतम बुद्घ नगर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, रामपुर और बिजनौर शामिल हैं.


निगम के प्रबंध निदेशक अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया, 'पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में बिजली बिलों के भुगतान के लिए मंदिर और मस्जिदों से अपील की जाएगी. लाउडस्पीकरों का प्रयोग करने से इसका संदेश लोगों के बीच तेजी से पहुंचेगा. जिससे योजना का लाभ सभी लोग आसानी से उठा सकते हैं.'


बिजली बकायों मंदिर-मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल अब सरकार करेगी  निगम के प्रबंध निदेशक अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया, 'पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में बिजली बिलों के भुगतान के लिए मंदिर और मस्जिदों से अपील की जाएगी. लाउडस्पीकरों का प्रयोग करने से इसका संदेश लोगों के बीच तेजी से पहुंचेगा.'


भारत में बिजली:उत्पात की स्तिथि 


आइए आपको दस ऐसी बातें बताते हैं जिनके बारे में हो सकता है कि आप न जानते हों-


1. भारत में 1,70,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. जब 1947 में देश आजाद हुआ था, उस समय सिर्फ 1362 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था.


2. बिजली उत्पादन का अधिकांश हिस्सा (60 फीसदी से अधिक) कोयला और भूरा कोयला (लिग्नाइट) से पैदा होता है, जबकि जल विद्युत परियोजनाओं से लगभग 22 फीसदी बिजली का उत्पादन होता है.


3. लगातार बिजली की मांग होने के बावजूद भारत में प्रति व्यक्ति सबसे कम बिजली की खपत होती है. पूरी दुनिया में औसतन बिजली की खपत 2429 यूनिट है जबकि भारत में यह 734 यूनिट है. आप कह सकते हैं कि भारत में बिजली की खपत नहीं के बराबर है. कनाडा में बिजली की खपत सबसे अधिक 18, 347 यूनिट है जबकि अमरीका में यह 13,647 यूनिट और चीन में 2456 यूनिट है.


4. भारत में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत इतना कम है जबकि हर साल उसकी मांग में सात फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है.


5. उद्योग और व्यापार की तुलना में बिजली की खपत घरेलू और कृषि उत्पाद में ज्यादा होती है. वर्ष 1970-71 में उद्योग जगत 61.6 फीसदी बिजली खपत करता था जो वर्ष 2008-09 में घटकर 38 फीसदी हो गया.


6. भारत में स्वतंत्रता के समय से ही बिजली की भयंकर कमी रही है जबकि इसके उत्पादन में आठ फीसदी की दर से बढ़ोतरी होती रही है. योजना आयोग के अनुसार पीक समय में बिजली की कमी दस फीसदी होती है जबकि समान्यतया 7 फीसदी बिजली की कमी होती है.


7. स्वतंत्रता प्राप्ति के 65 साल बाद भी सरकारी तौर पर 30 राज्यों में से सिर्फ नौ राज्यों- आंध्र प्रदेश, गोवा, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, केरल, पंजाब, कर्नाटक और तमिलनाडु में ही पूरी तरह विद्युतीकरण हो पाया है.


8. भारत में कुल संघीय पूंजी का 15 फीसदी या उससे अधिक राशि बिजली उत्पादन पर खर्च किया जाता है तब भी बिजली का हाल इतना बुरा है. राज्यों का विद्युत बोर्ड पूरी तरह कंगाल हैं, कोयले की भारी कमी है, सब्सिडी का कोई उपयुक्त तरीका नहीं है, अमीर सब्सिडी से सबसे अधिक लाभ पाते हैं, बिजली की चोरी होती है, योजना आयोग के अनुसार ‘उत्पादन से ज्यादा वितरण में परेशानी’ है.


9. वितरण और पारेषण में वर्ष 1995-96 में 22 फीसदी का क्षरण हुआ था जबकि 2009-10 में यह बढ़कर 25.6 फीसदी हो गया. जिन राज्यों में इसका सबसे अधिक क्षरण हुआ, वो राज्य हैं- जम्मू कश्मीर, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्य प्रदेश. जो राज्य फायदे में रहा, वे राज्य हैं- पंजाब, हिमाचल प्रदेश, आध्र प्रदेश और तमिलनाडु.


10. भारत का सबसे पहला बिजली उत्पादन कंपनी निजी क्षेत्र का था. उस कंपनी का नाम कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉरपोरेशन (सीईएससी) था. वह 1899 में शुरु हुआ था. डीजल से पहली बार बिजली का उत्पादन दिल्ली में 1905 में शुरू हुआ था. इसी तरह मैसूर में 1902 में जल विद्युत उत्पादन केन्द्र बना था. आजादी के समय देश में 60 फीसदी बिजली उत्पादन का काम निजी कंपनियों के हाथ में था जबकि आज लगभग 80 फीसदी बिजली का उत्पादन सरकारी क्षेत्र के हाथों में है और सिर्फ 12 फीसदी बिजली निजी कंपनियों के हाथ में है.