विनाशक महामारी काल में साहित्य जगत का ठहराव नामुमकिन,श्रोताओं के लिए सज रही है ऑनलाइन महफिले 


प्रयागराज,,,,,कोरना महामारी के चलते लॉक डाउन के दौरान भले ही दुनिया ठहर सा गया हो परन्तु साहित्य जगत का लॉकडाउन होना नामुमकिन है"। इस बात को सिद्ध करने के लिए लॉकडाउन में काव्य मर्मज्ञ व काव्य प्रेमी की महफिल ऑनलाइन सज रही है। इस विनाशक महामारी काल में भी अपनी रचनाओं एवं गीत ग़ज़लों के माध्यम से श्रोताओं का साहस एवं ऊर्जा कायम रखने हेतु महिला काव्य मंच (रजि.) उत्तर प्रदेश (पश्चिमी) - नोएडा इकाई की पहली डिजिटल काव्य गोष्ठी 14 मई 2020 को वरिष्ठ कवियित्री श्रीमती सविता चढ्ढ़ा (महिला काव्य मंच, राष्ट्रीय महासचिव) की अध्यक्षता में ऑनलाइन विडियो तकनीक द्वारा आयोजन किया गया।


गोष्ठी को सानिध्य मिला सुप्रसिद्ध कवियित्री श्रीमती अंजू जैन  (अध्यक्षा उ. प्र. (पश्चिम)) का। गोष्ठी का अत्यंत कुशल संचालन एवं सुरुचिपूर्ण संयोजन श्रीमती रोली मल्होत्रा (नोएडा अध्यक्षा) ने प्रयागराज से किया।
 
कार्यक्रम की शुरूआत मां शारदे को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ श्रीमती मोहिनी चतुर्वेदी (नोएडा महासचिव) की भावपूर्ण मां सरस्वती आराधना से हुई । तदोपरांत सभी कवयित्रियों ने भावपूर्ण काव्य पाठ किया। जहाँ श्रीमती इंदिरा कुमारी जी (कार्यकारिणी सदस्य) की रचना कोरोना वारीअर्स को समर्पित थीं पर वहीँ आशा भडाना की रचना 'वाट्सअप मोहल्ला के प्यारे से मिजाज़ ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। श्रीमती डालिया मुखर्जी (उपाध्यक्षा) की चलते हैं एक ख़्वाब में एवं श्रीमती डलिया चटर्जी (कार्यकारिणी सदस्य) की माँ पर रचना,सुश्री आशा शर्मा की रचना मुश्किल से गुजरती है, मोहिनी चतुर्वेदी की हर मानव के कितने पड़ाव तथा रोली मल्होत्रा की माँ तेरा खपडैल वाला घर जैसी कविता पथ को अभिभूत कर देने वाली रचनाएँ एवं सशक्त काव्य पाठ ने  मंत्रमुग्ध कर दिया। 


श्रीमती अंजू जैन (अध्यक्षा उ. प्र.(पश्चिमी)) ने सभी कवीत्रीयों को लॉकडाउन के इस समय में सकारात्मक प्रेरणा प्रदान करने और दोहे की कार्यशाला प्रस्तावित करने के साथ माँ पर भावों से सरोबार गुड़ की डली है माँ का ऐसा सुरीला काव्यपाठ किया की सभी की आंखें नम हो गयी। अंततः कार्यकम की आदरणीय अध्यक्षा श्रीमती सविता चढ्ढ़ा ने साहित्यिक विकास के लिए ऐसे कार्यक्रमों के महत्व पर प्रकाश डाला। बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल बांट कर गम चाह खुशियों की न करना तुम साथ ही आज की विपरीत परिस्थितियों को एक अवसर के रूप में बदल कर साहित्यिक गोष्ठी के आयोजन महत्व से अवगत भी करवाया। 


हौसला अफजाई के लिए सभी कवीत्रीयों के परिजन रसिक श्रोता के रुप में उपस्थित रहे। मंचीय गोष्ठियों का अपना लेकिन इस रूप में साहित्य से जुड़ना एवं कवीत्रीयों को जोड़ने का अनूठा व बढ़िया अनुभव रहा है.